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Shri Datta Swami
 

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स्वामी द्वारा दिव्या वाणी

ज्ञान योग के लिए सद्ग्रंथ और सत्संग साधन है तो भक्तियोग के लिए भजन, कीर्तन साधन हैं । भक्ति सूत्रधारि श्री नारद महर्षि भजन कीर्तन गाने से सुर और असुर दोनों के पूजनीय तथा सम्माननीय बनगये । क्यों कि भजन कीर्तन से दुष्ट व्यक्ति भी प्रभावित होते हैं । भक्ति के बारे में श्री नारद महर्षि कहते हैं कि वह अनिर्वचनीय है । “जारवच्च ” और “यथा व्रज गोपिकानाम् ” सूत्रों में,भक्ति जार की लोलता (निष्ठा) के समान है और सच्चे भक्तों के रूप में गोपिकाओं को दिखाया । “ तन्मयाहि ते ” सूत्र में यह बताया कि भक्त की निष्ठा से भगवान खुश होकर उस पर आरोपित हो जाते हैं तो उसे कैवल्य प्राप्त होता है । सांसारिक बन्धन रूपी छ : पहाड़ पार करके भगवत् बंधन रूपी 7 वे पहाड़ पर स्थित अमृत भक्ति रूपी सरोवर में कम से कम एकबार डुबकी नहीं लगाए तो जीव का जन्म व्यर्थ होता है । ‘एकबार डुबकी लगा दूँ ! हे ! प्राणनाथ’ जैसे रस रम्य कीर्तन के साथ भक्ति गंगा में सिर्फ एकबार डुबकी लगा दो ।

Showing 1 – 20 of 75 Bhajans in Hindi

1. स्वामी जी का दिव्य संदेश

2. ॥श्री दत्तगणपतिं भजे॥

3. ॥भज रे वीणापाणिम्॥

4. ॥भज भज दत्तम्‌॥

5. ॥श्री नरसिंह नमनम्‌॥

6. ॥सङ्कटमोचन हनुमत् स्तुति॥

7. ॥श्री-राम-कीर्तनम् - भज भज भास्कर ॥

8. ॥ ऋषिवराणां ॥

9. ॥किङ्करोऽस्मि तव शङ्कर॥

10. ॥शङ्कराय ते॥

11. ॥श्री मणिकण्ठ भजन - भज भज रे भगवन्तम्॥

12. ॥ मुञ्च मुञ्च कृष्णं – वञ्चकं तमेकम् ॥

13. ॥किमस्ति दत्ते कमले॥

14. ॥ दीपावली-ज्ञानदीपावली ॥

15. ॥ अत्रिजं शङ्करं ब्रह्मनारायणम् ॥

16. वन्देति रम्यं । विश्वैक गम्यम् ।

17. ॥ श्री दत्तोऽहं गुरुदत्तोऽहं ॥

18. ॥ दत्तात्रेयं को जानाति॥

19. ॥ श्री नरसिंह सरस्वती स्तोत्रम् ॥

20. ॥ श्री दत्त सत्यशायि शरणाष्टकम् ॥


 
 
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